धर्म एवं दर्शन >> रामचरितमानस के रचनाशिल्प का विष्लेषण रामचरितमानस के रचनाशिल्प का विष्लेषणयोगेन्द्र प्रताप सिंह
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गोस्वामी तुलसीदास की अजेय कृति श्रीरामचरितमानस की रचनासामर्थ्य की मौलिकता का विश्लेषण परंपरा से मुक्त होकर करना - इस कृति का मंतव्य है
रामकथा से सम्बद्ध विविध युग सापेक्ष कृतियाँ मानव मूल्यों एवं साहित्यिक मानकों के बदलावों के फलस्वरूप निरंतर बदलती रही हैं। परंपरा की प्रमुख रामकथा से सम्बद्ध कृतियों यथा वाल्मीकि रामायण, अध्यात्म रामायण एवं रामचरितमानस आदि को केंद्र में रखकर देखा जाये तो रामकाव्य के कथाशिल्प एवं रचनाविधन में परिवर्तन सामाजिक मूल्यों के बदलाव के कारन आये हैं और उनमें इस दृष्टि से शास्वतता की तलाश का कोई अर्थ नहीं हैं। 'रामचरितमानस के रचनाशिल्प का विश्लेषण' शीर्षक कृति इसी युग सापेक्ष्य परिवर्तन की मौलिकता से सम्बद्ध है और यह मौलिकता परंपरा से नहीं कवी की सर्जन सामर्थ्य से सम्बद्ध है। गोस्वामी तुलसीदास की अजेय कृति श्रीरामचरितमानस की रचनासामर्थ्य की मौलिकता का विश्लेषण परंपरा से मुक्त होकर करना - इस कृति का मंतव्य है-जिससे एक कालजयी मौलिक रचनाधार्मिकता से सम्बध्ह कवी को भविष्य में परम्परावादी कहकर उसकी प्रतिभा पर प्रश्न-चिन्ह न लगाया जा सके।
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